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कोरबा में नर हाथी की करंट से मौत, तीन ग्रामीण गिरफ्तार: वन विभाग की कार्रवाई,,

कोरबा में नर हाथी की करंट से मौत, तीन ग्रामीण गिरफ्तार: वन विभाग की कार्रवाई,,

छत्तीसगढ़ के कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज अंतर्गत ग्राम बैगामार के जंगल में एक नर हाथी की करंट लगने से मौत हो गई। इस घटना ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि हाथी की मौत बिजली के तारों में प्रवाहित करंट के कारण हुई। मामले में वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन कथित ग्रामीणों को गिरफ्तार किया है।

घटना का विवरण

कोरबा वन मंडल के अधिकारियों को सूचना मिली कि कुदमुरा रेंज के बैगामार जंगल में एक नर हाथी मृत पड़ा है। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि मृत हाथी के आसपास बिजली के तार बिछे हुए थे, जिससे संदेह हुआ कि हाथी की मौत करंट लगने से हुई। प्रारंभिक निरीक्षण के बाद यह स्पष्ट हो गया कि हाथी की मौत का कारण वास्तव में विद्युत प्रवाह था।

घटनास्थल पर मृत हाथी का पोस्टमॉर्टम कराया गया, जिसमें करंट लगने से मौत की पुष्टि हुई। वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की और आसपास के खेतों के मालिकों से पूछताछ की। जांच में सामने आया कि कुछ किसानों ने अपनी फसलों को जंगली जानवरों, खासकर हाथियों, से बचाने के लिए खेतों के आसपास बिजली के तार बिछाए थे। इन्हीं तारों में प्रवाहित करंट के संपर्क में आने से हाथी की मौत हुई।

तीन ग्रामीणों की गिरफ्तारी

जांच के दौरान वन विभाग ने घटनास्थल के पास खेतों की जानकारी जुटाई और संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की। इसके आधार पर तीन ग्रामीणों को कथित तौर पर आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया गया। इनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कार्रवाई शुरू की गई है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम और अन्य विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन वन विभाग का कहना है कि जांच अभी जारी है और अन्य संदिग्धों की तलाश की जा रही है।

कोरबा में हाथियों का आतंक

कोरबा जिला, जो अपने घने जंगलों और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है, पिछले कुछ वर्षों से जंगली हाथियों के आतंक से जूझ रहा है। कोरबा के वनांचल क्षेत्रों में हाथियों का विचरण निरंतर जारी है। ये हाथी न केवल ग्रामीणों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि कई बार मानव जीवन को भी खतरा पहुंचा रहे हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि फसलों को बचाने के लिए वे कई बार मजबूरी में बिजली के तारों का उपयोग करते हैं। हालांकि, इस तरह के उपाय गैरकानूनी हैं और जब इनके कारण किसी वन्यजीव की मौत होती है, तो वन अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाती है।

वन्यजीव संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष

यह घटना एक बार फिर मानव-हाथी संघर्ष की गंभीर समस्या को उजागर करती है। कोरबा और आसपास के क्षेत्रों में हाथियों द्वारा फसलों को नष्ट करने की घटनाएं आम हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फसलों की बर्बादी से उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ता है, जिसके चलते वे ऐसे खतरनाक उपाय अपनाने को मजबूर होते हैं। दूसरी ओर, वन विभाग का कहना है कि जंगली जानवरों, विशेषकर संरक्षित प्रजातियों जैसे हाथियों, को नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध है।

वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए वैधानिक और सुरक्षित तरीकों का उपयोग करें, जैसे कि सोलर फेंसिंग या अन्य गैर-हानिकारक उपाय। इसके अलावा, विभाग ने यह भी कहा कि प्रभावित किसानों को मुआवजे की व्यवस्था की जाएगी, बशर्ते वे कानूनी दायरे में रहकर अपनी समस्याओं का समाधान करें।

आगे की कार्रवाई

वन विभाग ने इस मामले में जांच को और गहरा करने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी दोषियों को सजा मिले। साथ ही, क्षेत्र में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है। वन विभाग ने ग्रामीणों को चेतावनी दी है कि बिजली के तारों का उपयोग न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

निष्कर्ष

बैगामार जंगल में नर हाथी की करंट से मौत ने एक बार फिर कोरबा में मानव-हाथी संघर्ष की जटिल समस्या को सामने ला दिया है। वन विभाग की त्वरित कार्रवाई से तीन आरोपियों की गिरफ्तारी तो हो चुकी है, लेकिन इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि ग्रामीणों और वन्यजीवों के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित किया जाए। वन्यजीवों के संरक्षण और किसानों की आजीविका की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधानों की आवश्यकता है।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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