कोरबा: 22 साल के संघर्ष के बाद भूविस्थापित महिलाओं ने कुसमुंडा SECL दफ्तर में जड़ा ताला! अनिश्चितकालीन धरना शुरू,,

कोरबा। SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) और जिला प्रशासन की लगातार उदासीनता और संवेदनहीनता के खिलाफ अपनी अंतिम लड़ाई शुरू करते हुए, कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित भूविस्थापित महिलाओं ने आज अलसुबह कड़ा विरोध दर्ज कराया। रोजगार, सम्मानजनक बसाहट, पुनर्वास और अन्य सुविधाओं की लंबित मांगों को लेकर महिलाओं ने कुसमुंडा कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया है और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं।
⏳ 22 वर्षों का संघर्ष पहुंचा निर्णायक मोड़ पर

कुसमुंडा क्षेत्र से प्रभावित ये महिलाएँ पिछले 22 वर्षों से अपनी जायज़ मांगों के समाधान के लिए संघर्षरत हैं। आंदोलन में गोमती, केवट, काजल, इन्द्रा, सरिता टिकैतराम बिंझवार, पूनम और मीना कंवर शामिल हैं।
महिलाओं का स्पष्ट कहना है कि जब तक उनकी मांगों का ठोस समाधान नहीं हो जाता, तब तक वे कुसमुंडा मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के दोनों मुख्य गेट जाम कर धरने पर बैठी रहेंगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि आंदोलन से कोयला उत्पादन में उत्पन्न किसी भी बाधा या अप्रिय स्थिति के लिए SECL प्रबंधन और जिला प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार होंगे।
🤝 वादाखिलाफी से बढ़ा आक्रोश
भूविस्थापित महिलाओं में मौजूदा आक्रोश का मुख्य कारण प्रशासन की वादाखिलाफी है। उन्होंने बताया कि 17 नवंबर 2025 को हुए पिछले गेट जाम आंदोलन के दौरान दर्री तहसीलदार ने मौके पर लिखित आश्वासन दिया था कि 21 नवंबर 2025 को बैठक आयोजित कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
आंदोलनकारी महिलाओं ने आक्रोशित होकर कहा, “झूठे आश्वासनों से त्रस्त होकर अब हमने निर्णायक लड़ाई शुरू की है। 21 नवंबर की बैठक का वादा भी छलावा साबित हुआ। अब समाधान हुए बिना गेट नहीं खोलेंगे।”
✨ आंदोलन की मुख्य मांगें:
पात्र भूविस्थापितों को तत्काल रोजगार दिया जाए।
भूविस्थापितों के लिए सम्मानजनक एवं समुचित बसाहट की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
सभी लंबित मांगों का समयबद्ध निराकरण किया जाए।

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