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कोरबा में गौ तस्करी का काला कारनामा: पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी से खुलासा, दर्जनों गौवंश मुक्त, जंगल में 75 मवेशी भूख-प्यास से तड़पे, ग्रामीणों में उबाल,,

कोरबा में गौ तस्करी का काला कारनामा: पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी से खुलासा, दर्जनों गौवंश मुक्त, जंगल में 75 मवेशी भूख-प्यास से तड़पे, ग्रामीणों में उबाल,,

कोरबा, 23 सितंबर 2025 (विशेष संवाददाता): छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गौ तस्करी का एक संगठित गिरोह लंबे समय से सक्रिय था, लेकिन मंगलवार देर रात कोरबी चौकी की पुलिस ने इसे धर दबोचा। पसान थाना क्षेत्र के कोरबी चौकी अंतर्गत घुंचापुर गांव में करीब 1:30 बजे चली ताबड़तोड़ छापेमारी में पुलिस ने एक संदिग्ध पिकअप वाहन (नंबर CG14MF1374) को पकड़ लिया, जिसमें दर्जनों गौवंश भरे हुए थे। तस्कर मौके पर फरार हो गए, लेकिन वाहन जब्त कर लिया गया है। इस घटना ने न केवल तस्करों के नेटवर्क को झकझोर दिया है, बल्कि ग्रामीणों में गुस्से की आग भड़का दी है। जंगल में बंधे 75 मवेशियों की भयावह हालत देखकर हर आंख नम हो गई।

 

पुलिस की सतर्कता से पर्दाफाश हुई साजिश

चौकी प्रभारी सुरेश जोगी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर रात के सन्नाटे में छापा मारा। वाहन में ठूंस-ठूसकर रखे गए गौवंशों को तत्काल मुक्त कराया गया। मौके पर पहुंचे पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्र कुमार पटेल ने गौवंशों का प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण किया, जिसमें कई मवेशी कुपोषित और घायल पाए गए। चौकी प्रभारी जोगी ने घटनास्थल पर ही एफआईआर दर्ज कर ली और फरार तस्करों की तलाश तेज कर दी है।

ग्रामीणों के सहयोग से एक और ट्रक भी पकड़ा गया, जिसमें 33 मवेशी भरे थे। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सरकार की हालिया गाइडलाइन के अनुरूप है, जिसमें गौ तस्करी पर 7 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है राज्य में ‘ऑपरेशन शंखनाद’ जैसे अभियानों के तहत गौ तस्करी पर लगातार नकेल कसी जा रही है, जैसा कि मार्च 2025 में जशपुर में 22 गौवंश मुक्त कराने वाली कार्रवाई में देखा गया।

जंगल में भूख-प्यास से तड़पे मवेशी: अमानवीयता की हद,,

घटना का सबसे दर्दनाक पहलू तब उजागर हुआ जब ग्रामीणों ने पास के जंगल का रुख किया। वहां रस्सियों से बंधे करीब 75 मवेशी मिले, जिन्हें न चारा दिया गया था और न पानी। कई मवेशी भूख-प्यास से मर चुके थे, जबकि बाकी तड़प रहे थे। यह दृश्य देखकर ग्रामीणों की आंखें भर आईं। सरपंच पति शनिच राम ने गुस्से से कहा, “गाय हमारी मां है, और मां को बचाना सबसे बड़ा धर्म है। यह तस्करी महीनों से चल रही थी, लेकिन अब हम चुप नहीं बैठेंगे। प्रशासन को सूचना दी है, दोषियों को कड़ी सजा दिलवाएंगे।

डॉ. पटेल ने घायल मवेशियों का इलाज शुरू कर दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय की उपेक्षा से कई मवेशी स्थायी रूप से प्रभावित हो चुके हैं। यह घटना कोरबा जैसे ग्रामीण इलाकों में गौ तस्करी के व्यापक नेटवर्क की ओर इशारा करती है, जहां झारखंड सीमा से सटे जंगलों का फायदा उठाया जाता है। पुरानी घटनाओं में भी कोरबा में इसी तरह की बेरहमी देखी गई है, जैसे 2023 में पोंडी उपरोड़ा में दो गायों की मौत हो गई थी।

ग्रामीणों का आक्रोश: सख्त सजा की मांग
घटनास्थल पर सरपंच सहित सैकड़ों ग्रामीण जुट गए। उन्होंने पुलिस की तत्परता की सराहना की, लेकिन एक स्वर में मांग की कि तस्करों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। एक ग्रामीण ने कहा, “ये तस्कर हमारे गांवों से गौवंश चुराते हैं और जंगल में छोड़ देते हैं। अब ऐसी अमानवीयता बर्दाश्त नहीं।” इलाके में दहशत का माहौल है, तस्करों में हड़कंप मच गया है।
कोरबा पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, जिसमें सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन का सहारा लिया जा रहा है। जिला प्रशासन ने भी हाई अलर्ट जारी किया है। ग्रामीण संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों को सजा न मिली तो आंदोलन तेज होगा।
व्यापक संदर्भ: छत्तीसगढ़ में गौ तस्करी का बढ़ता खतरा
छत्तीसगढ़ में गौ तस्करी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर सीमावर्ती जिलों में। कोरबा ‘पावर हब’ के रूप में जाना जाता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पशु क्रूरता की यह घटना शासन-प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी है।1c51dc हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी इसी तरह की मुठभेड़ें हुई हैं, जहां तस्करों पर सख्ती बरती गई।विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराज्यीय सहयोग और ड्रोन निगरानी से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
यह घटना न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करती है, बल्कि सामाजिक जागरूकता की भी। ग्रामीणों की एकजुटता से उम्मीद है कि गौ तस्करी का यह काला साया मिटेगा। पुलिस से अपील है कि फरार तस्करों को शीघ्र पकड़ा जाए, ताकि घुंचापुर जैसे गांव फिर कभी इस दर्द से न गुजरें।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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