कोरबा कटघोरा वनमडल के तनेरा गांव में हाथी के हमले से युवक की दर्दनाक मौत: ग्रामीणों ने चेतावनी दी- “अगला निशाना हम होंगे, प्रशासन जागो वरना गांव छोड़ देंगे!”
कोरबा, 21 सितंबर 2025: कोरबा के कटघोरा वन मंडल पसान क्षेत्र के तनेरा गांव में जंगली हाथी के झुंड के हमले में एक युवक की दर्दनाक मौत हो गई। घटना शनिवार रात की बताई जा रही है, जब हाथी का झुंड गांव में घुस आया। मृतक की पहचान अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार यह एक स्थानीय भाई था, जो रात में घर के बाहर था। हाथी ने अचानक हमला कर उसे कुचल दिया। यह घटना क्षेत्र में पहले से ही जारी हाथी आतंक की ताजा कड़ी है, जहां कटघोरा-कोरबा वन मंडल में 67 हाथियों के झुंड से 85 से अधिक गांव दहशत में जी रहे हैं।
घटना की सूचना मिलते ही गांव में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों ने तत्काल वन विभाग को सूचित किया, लेकिन एक घंटे तक कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। गांव के सरपंच प्रतिनिधि सरवन कुमार मरपचची ने आग बबूला होकर वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “इतने बड़े हादसे के बाद भी वन विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंचा! जबकि तनेरा में ही उनका कार्यालय और आवास मौजूद है। यह लापरवाही और असंवेदनशीलता कतई बर्दाश्त नहीं है!”9c9461 सरवन कुमार ने आगे चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने तत्काल कदम नहीं उठाए, तो ग्रामीण गांव छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।
ग्रामीणों का रोष चरम पर, मृतक परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं
ग्रामीणों का गुस्सा हद पार कर चुका है। मृतक के परिवार को अभी तक कोई तत्काल सहायता राशि नहीं दी गई है, जबकि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार ऐसी घटनाओं में 25 हजार रुपये की तात्कालिक सहायता और 6 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाता है। हाथी का झुंड अब भी गांव के आसपास मंडरा रहा है, जिससे लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं, “कल मासूम हाथी का बच्चा गया, आज हमारा भाई गया… प्रशासन कब जागेगा?” यह बयान तनेरा, सरमा और जलके गांवों के निवासियों का है, जो अब जीवन की सुरक्षा के लिए खुली चेतावनी दे रहे हैं।
पसान रेंजर मनीष सिंह ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं घटना स्थल के लिए निकल गया हूं, मौके पर पहुंचकर पूरी जानकारी दूंगा।” हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी प्रतिक्रियाएं अब अपर्याप्त हैं। वे मांग कर रहे हैं कि वन विभाग हाथी झुंड को तत्काल जंगल में खदेड़े और गांवों में ‘रोशनी कवच’ जैसी सुरक्षा व्यवस्था लागू करे, जैसा कि हाल ही में कटघोरा वन मंडल के 80 हाथी प्रभावित गांवों के लिए प्रस्तावित है
हाथी आतंक का सिलसिला: मानव-वन्यजीव संघर्ष की चपेट में कोरबा
कोरबा जिला लंबे समय से जंगली हाथियों के आतंक से जूझ रहा है। कटघोरा वन मंडल में विभिन्न झुंडों में कुल 67 हाथी सक्रिय हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और रात के अंधेरे में गांवों पर धावा बोल रहे हैं। हाल ही में 13 सितंबर को बेबी हाथी के जन्म की खुशी के बीच भी ग्रामीण दहशत में हैं।e16b16 पहले भी कोरबा में हाथी हमलों में महिलाओं और बच्चों की मौत हो चुकी है, जैसे अगस्त 2024 में रलिया गांव में एक 55 वर्षीय महिला की मौत।5926db वन विभाग के अनुसार, झुंड से अलग हो चुके हाथी अधिक हिंसक हो जाते हैं, जिससे संघर्ष बढ़ रहा है।
तनेरा, सरमा और जलके के ग्रामीणों ने एकजुट होकर चेतावनी जारी की है: “
हाथियों का डर और प्रशासन की लापरवाही गांव में आग की तरह फैल रही है। यदि तत्काल राहत और सुरक्षा नहीं मिली, तो हम गांव खाली करने को तैयार हैं!” यह चेतावनी न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे कोरबा के हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक संकेत है। आयोजकों ने वन विभाग से मांग की है कि तुरंत उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाए और ग्रामीणों को सुरक्षित जीवन प्रदान किया जाए।
यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है, जहां एक ओर वन्यजीव संरक्षण जरूरी है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की जान-माल की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण। प्रशासन को अब ठोस कदम उठाने होंगे, वरना यह आग और भड़क सकती है।

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