छत्तीसगढ़: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य की गिरफ्तारी, ED की छापेमारी से सियासी हलचल, बघेल ने लगाया राजनीतिक साजिश का आरोप,,
रायपुर, 18 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को हिरासत में लिया। यह कार्रवाई भिलाई-3 स्थित उनके निवास पर सुबह करीब 6:30 बजे शुरू हुई छापेमारी के बाद हुई, जो कथित तौर पर राज्य के चर्चित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच का हिस्सा है। विशेष रूप से, यह कार्रवाई चैतन्य बघेल के जन्मदिन के दिन हुई, जिसने इस मामले को और भी चर्चा में ला दिया। इस घटना ने छत्तीसगढ़ की सियासत में भारी हलचल मचा दी है, और कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा विपक्ष को दबाने की साजिश करार दिया है।
ED की कार्रवाई: छापेमारी से हिरासत तक,,
प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने सुबह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों के साथ भिलाई में भूपेश बघेल के आवास पर छापेमारी शुरू की। करीब पांच घंटे की तलाशी और पूछताछ के बाद चैतन्य बघेल को हिरासत में लिया गया और उन्हें रायपुर स्थित ED कार्यालय ले जाया गया। ED सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई, क्योंकि चैतन्य ने कथित तौर पर तलाशी के दौरान सहयोग नहीं किया।
ED ने चैतन्य को रायपुर के विशेष PMLA कोर्ट में पेश किया, जहां उन्हें पांच दिन की हिरासत में भेज दिया गया। जांच एजेंसी का दावा है कि चैतन्य कथित शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय (proceeds of crime) के प्राप्तकर्ता हैं, जिसके तहत लगभग 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है।
इससे पहले, 10 मार्च 2025 को भी ED ने शराब घोटाले की जांच के तहत भूपेश बघेल के आवास सहित 14 अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस दौरान चैतन्य के कथित सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल (पप्पू बंसल) के परिसरों पर भी तलाशी ली गई थी, और 30 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे।
कथित शराब घोटाला: क्या है मामला?
ED के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। इस घोटाले में शराब की बिक्री और वितरण में अनियमितताओं के जरिए 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ।
जांच एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले में एक शराब सिंडिकेट ने काम किया, जिसमें सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और शराब कारोबारियों का गठजोड़ शामिल था। इस सिंडिकेट ने कथित तौर पर नकली होलोग्राम और बोतलों का उपयोग कर अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया। शराब की बिक्री का एक हिस्सा आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया, और आपूर्तिकर्ताओं से रिश्वत लेकर इसे गैर-कानूनी तरीके से बेचा गया। ED ने इस मामले में पहले ही कई प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा, रायपुर के मेयर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और ITS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।
इसके अलावा, ED ने इस मामले में लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया है और दावा किया है कि अवैध शराब बिक्री से प्राप्त कमीशन को “राज्य के शीर्ष राजनीतिक कार्यकारियों के निर्देशों” के अनुसार बांटा गया।
भूपेश बघेल का जवाब: “राजनीतिक साजिश”
चैतन्य की गिरफ्तारी और छापेमारी पर भूपेश बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे केंद्र सरकार और बीजेपी की “राजनीतिक प्रतिशोध” की कार्रवाई करार दिया। बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।”
रायपुर में पत्रकारों से बात करते हुए बघेल ने कहा, “पिछली बार मेरे जन्मदिन पर ED को भेजा गया था। इस बार मेरे बेटे के जन्मदिन पर मोदी और शाह ने अपने मालिक (अडानी) को खुश करने के लिए ED को भेजा है। भूपेश बघेल न झुकेगा और न डरेगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि वे विधानसभा में तमनार (रायगढ़ जिला) में अडानी समूह के कोयला खनन परियोजना के लिए पेड़ कटाई का मुद्दा उठाने वाले थे।
बघेल ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों (ED, CBI, IT, DRI) का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाए जाने का उदाहरण देते हुए दावा किया कि “लोकतंत्र को कुचला जा रहा है।” फिर भी, उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र और न्यायपालिका में विश्वास रखते हैं और जांच में सहयोग करेंगे।
कांग्रेस का विरोध: विधानसभा में हंगामा और बहिष्कार
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने तीव्र विरोध दर्ज किया। कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा सत्र का बहिष्कार किया और नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने कहा, “ED की यह कार्रवाई भूपेश बघेल को परेशान करने और विपक्ष को दबाने की साजिश है।” विधायकों ने नारा लगाया, “एक पेड़ मां के नाम, बाकी सब बाप के नाम,” जो अडानी समूह के खिलाफ उनके विरोध को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने X पर लिखा, “डबल इंजन सरकार ने फिर से विपक्ष का गला घोंटने का काम किया है। 32 हजार का जग, 50 लाख की टीवी, 11 करोड़ का योगा और 2 करोड़ के समोसा घोटाले की किरकिरी से बौखलाए मुख्यमंत्री विष्णु देओ साय ने ED को भेजकर विपक्ष को चुप कराने की साजिश रची है।”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी बघेल के भिलाई निवास के बाहर और ED के रायपुर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। कुछ कार्यकर्ताओं ने ED की गाड़ी को रोकने की कोशिश की, जिसके कारण भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
सियासी हलचल और बीजेपी पर आरोप
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को बीजेपी की “प्रतिशोध की राजनीति” करार दिया। पार्टी का कहना है कि ED की यह कार्रवाई उस समय हुई जब भूपेश बघेल पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी के रूप में सक्रिय हैं और छत्तीसगढ़ में अडानी समूह के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव और सचिन पायलट ने भी इसे “विपक्ष को डराने और दबाने की सुनियोजित साजिश” बताया।
वहीं, बघेल ने दावा किया कि यह कार्रवाई बीजेपी की हताशा को दर्शाती है, क्योंकि उनकी सरकार के खिलाफ उठाए गए पिछले मामले कोर्ट में खारिज हो चुके हैं। उन्होंने 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ED की पहली ECIR (FIR) को रद्द किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह नई कार्रवाई भी “झूठे आधार” पर की जा रही है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य
ED ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में और भी छापेमारी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं, क्योंकि जांच अब मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े नेटवर्क की तह तक जाने की कोशिश कर रही है। चैतन्य की पांच दिन की हिरासत के दौरान ED उनसे शराब घोटाले में उनकी कथित भूमिका और अपराध की आय के उपयोग के बारे में पूछताछ करेगी।
यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और कांग्रेस और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। विशेष रूप से, 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले बघेल की सक्रियता और इस कार्रवाई का समय इसे और भी संवेदनशील बनाता है।
,,निष्कर्ष,,
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और ED की छापेमारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया है। भूपेश बघेल और कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार और बीजेपी की साजिश करार दिया है, जबकि ED का दावा है कि यह कार्रवाई नए साक्ष्यों के आधार पर की गई है। यह मामला न केवल शराब घोटाले की जांच से जुड़ा है, बल्कि छत्तीसगढ़ में अडानी समूह के खिलाफ चल रहे विरोध और विपक्ष की आवाज को दबाने के आरोपों से भी जोड़ा जा रहा है। आने वाले दिन इस मामले में और भी खुलासे और सियासी ड्रामे की ओर इशारा कर रहे हैं।

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