कोरबा में प्रेम विवाह का दुखद अंत: महिला पंचायत सचिव की अधजली लाश, मां ने समाज के डर से शव लेने से किया इंकार मृतक महिला सचिव पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक मे थी पदस्त,,
कोरबा, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक महिला पंचायत सचिव की अधजली लाश उनके घर में मिलने से हड़कंप मच गया। मृतिका की पहचान 26 वर्षीय सुषमा खुसरों के रूप में हुई है, जो पोंडी-उपरोड़ा ब्लॉक में पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत थी। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया, बल्कि सामाजिक रूढ़ियों और पारिवारिक दबावों की गंभीर तस्वीर भी सामने लाई है। मृतिका की मां ने समाज के डर और लोकलाज के कारण अपनी बेटी के शव को लेने से इंकार कर दिया, जिसने इस त्रासदी को और भी दुखद बना दिया।
घटना का विवरण
यह सनसनीखेज घटना 22 जुलाई 2025 की शाम को सिविल लाइन थाना क्षेत्र में सामने आई। मृतिका सुषमा खुसरों के पति, अनिमेष कुमार लदेर, जो स्वयं कोरबा जनपद पंचायत के ग्राम चिर्रा में पंचायत सचिव हैं, ने पुलिस को सूचना दी कि उनकी पत्नी ने घर के दरवाजे को अंदर से बंद कर खुद को आग लगा ली। अनिमेष ने बताया कि घटना के समय वह घर पर मौजूद नहीं थे। सूचना मिलते ही कोरबा पुलिस की एक टीम तत्काल मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
घर के एक कमरे में फर्श पर सुषमा की अधजली लाश पाई गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मृतिका के परिजनों को घटना की जानकारी दी। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि सुषमा ने डेढ़ साल पहले, यानी 2023 में, अपने सहकर्मी अनिमेष कुमार से प्रेम विवाह किया था, जिसकी जानकारी उन्होंने अपने परिवार को नहीं दी थी।
परिजनों का आगमन और हत्या का आरोप
सुषमा की मौत की खबर मिलने के बाद उनके परिजन, जो ग्राम तेलसरा, पाली से हैं, कोरबा पहुंचे। यहाँ आने पर उन्हें पहली बार अपनी बेटी के प्रेम विवाह की जानकारी मिली। मृतिका की मां, सोनकुंवर, ने इस घटना को आत्महत्या मानने से साफ इंकार कर दिया और गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी सीधी-सादी और सरल स्वभाव की थी, और वह आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकती। सोनकुंवर ने दावा किया कि सुषमा की हत्या की गई है और उसकी लाश को जलाकर इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई।
समाज के डर से मां का शव लेने से इंकार
इस घटना ने सामाजिक रूढ़ियों और कुरूतियों की एक कड़वी सच्चाई को उजागर किया। सुषमा की मां ने समाज के डर और लोकलाज के कारण अपनी बेटी के शव को लेने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि अगर वे शव को अपने गाँव ले जाएँगी, तो समाज उन्हें बहिष्कृत कर देगा। इस निर्णय ने न केवल परिवार की मानसिक स्थिति को दर्शाया, बल्कि सामाजिक दबावों की गंभीरता को भी सामने लाया। इसके बाद पुलिस ने शव को मृतिका के पति अनिमेष को सौंप दिया।
पुलिस जांच और उठते सवाल
कोरबा पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि सुषमा की मौत के पीछे की सच्चाई का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विस्तृत जांच के बाद ही हो सकेगा। इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं:
यदि सुषमा ने आत्महत्या की, तो इसके पीछे क्या कारण थे? क्या वैवाहिक जीवन में कोई तनाव या दबाव था?
क्या यह हत्या का मामला है, जैसा कि मृतिका की मां ने आरोप लगाया है? यदि हां, तो इसे आत्महत्या का रूप देने के लिए शव को क्यों जलाया गया?
सुषमा और अनिमेष के बीच डेढ़ साल के वैवाहिक जीवन में क्या परिस्थितियाँ थीं, जो इस दुखद घटना तक ले गईं
कोरबा पुलिस के सीएपी भूषण एक्का ने बताया कि सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। पुलिस ने मृतिका के पति और अन्य संबंधित लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
प्रेम विवाह और सामाजिक दबाव
सुषमा और अनिमेष का प्रेम विवाह, जिसे परिवार की सहमति के बिना अंजाम दिया गया, इस मामले का एक महत्वपूर्ण पहलू है। छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में, जहाँ सामाजिक रूढ़ियाँ और पारंपरिक मान्यताएँ अभी भी गहरी जड़ें जमाए हुए हैं, प्रेम विवाह को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का कारण माना जाता है। सुषमा के परिवार को उनकी शादी की जानकारी मृत्यु के बाद मिलना और मां का शव लेने से इंकार करना इस बात का प्रतीक है कि सामाजिक दबाव किस हद तक परिवारों को प्रभावित कर सकते हैं।

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