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कोरबा: पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य की गिरफ्तारी के विरोध में कटघोरा में कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी, नेशनल हाईवे 130 पर चक्काजाम, वाहनों की लंबी कतारें,,

कोरबा: पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य की गिरफ्तारी के विरोध में कटघोरा में कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी, नेशनल हाईवे 130 पर चक्काजाम, वाहनों की लंबी कतारें,,

कोरबा, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में 22 जुलाई 2025 को कांग्रेस पार्टी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के विरोध में आर्थिक नाकेबंदी और चक्काजाम का आयोजन किया। कटघोरा-अंबिकापुर नेशनल हाईवे-130 पर जेन्जरा बायपास चौक पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने ED और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, और सड़क पर आगजनी कर विरोध को और तीव्र किया। इस तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। हालांकि, इस प्रदर्शन में कोरबा के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही।
प्रदर्शन का विवरण
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को “राजनीतिक प्रतिशोध” और केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का परिणाम बताते हुए 22 जुलाई 2025 को पूरे राज्य में आर्थिक नाकेबंदी और चक्काजाम का आह्वान किया था। कोरबा जिले के कटघोरा में यह प्रदर्शन सुबह 11 बजे शुरू हुआ और दोपहर 2 बजे तक चला। कटघोरा-अंबिकापुर नेशनल हाईवे-130 पर जेन्जरा बायपास चौक को पूरी तरह जाम कर दिया गया, जिसके कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। ट्रक, बसें, और अन्य वाहन सड़क पर घंटों फंसे रहे, जिससे यात्रियों और मालवाहक वाहनों को भारी असुविधा हुई।
प्रदर्शनकारी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़क पर बैठकर नारेबाजी की और केंद्र सरकार, ED, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ तीखे नारे लगाए। कुछ कार्यकर्ताओं ने सड़क पर टायर जलाकर आगजनी भी की, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी को दबाना और छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों की “लूट” को छिपाना है।
प्रमुख नेताओं की उपस्थिति और अनुपस्थिति
प्रदर्शन में रामपुर विधायक फूल सिंह राठिया, कटघोरा के पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर, पाली-तानाखार के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा, कांग्रेस के संयुक्त महासचिव हरीश परसाई, जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष मनोज चौहान, नगर पालिका अध्यक्ष, राज्यसवाल समिति के सदस्य, युवा कांग्रेस, और ग्रामीण कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यकर्ताओं ने “ED हाय-हाय”, “BJP सरकार मुर्दाबाद”, और “छत्तीसगढ़ की जनता जाग चुकी है” जैसे नारे लगाए।
हालांकि, कोरबा के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए। उनकी गैरमौजूदगी को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चाएं शुरू हो गईं, और कुछ कार्यकर्ताओं ने इसे पार्टी के भीतर एकता की कमी के रूप में देखा। इसके बावजूद, प्रदर्शन में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी मांगों को जोर-शोर से उठाया।
ED की कार्रवाई और कांग्रेस का आरोप
चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को ED ने भिलाई में उनके निवास पर छापेमारी के बाद हिरासत में लिया था। ED ने चैतन्य को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया, जिसमें उन पर ₹16.70 करोड़ की अपराध आय प्राप्त करने और ₹1000 करोड़ से अधिक की राशि को संभालने का आरोप है। ED का दावा है कि यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ, जिसमें शराब व्यापार में अनियमितताएं और अवैध कमीशन शामिल थे।
कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे केंद्र सरकार और BJP की “राजनीतिक साजिश” करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि उनके बेटे की गिरफ्तारी का मकसद उन्हें और कांग्रेस को रायगढ़ में अवैध पेड़ कटाई और कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ आवाज उठाने से रोकना है, जिसमें कथित तौर पर अडानी समूह शामिल है। बघेल ने कहा, “ED BJP की शाखा के रूप में काम कर रही है। यह छत्तीसगढ़ के जंगल, जल, और जमीन को अडानी को सौंपने की साजिश का हिस्सा है।”
पुलिस की तैनाती और तनावपूर्ण स्थिति
प्रदर्शन के दौरान जेन्जरा बायपास चौक पर सड़क जाम और आगजनी के कारण तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोरबा पुलिस ने भारी बल तैनात किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की और यह सुनिश्चित किया कि कोई हिंसक घटना न हो। आपातकालीन सेवाओं, जैसे एम्बुलेंस और अग्निशमन वाहनों, को रास्ता देने के लिए प्रदर्शनकारियों ने आंशिक छूट दी, लेकिन सामान्य यातायात पूरी तरह ठप रहा।
प्रदर्शन का व्यापक प्रभाव
कटघोरा में हुए इस चक्काजाम का असर नेशनल हाईवे-130 पर स्पष्ट दिखाई दिया। कोरबा से अंबिकापुर और अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग घंटों तक बंद रहा, जिससे मालवाहक ट्रकों, बसों, और निजी वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा, और कई व्यापारियों ने माल परिवहन में देरी की शिकायत की। इस प्रदर्शन ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे राज्य में ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि कांग्रेस ने सभी 33 जिलों में इसी तरह के चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी का आयोजन किया था।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
यह प्रदर्शन कोरबा जिले में हाल की अन्य घटनाओं, जैसे SECL कुसमुंडा क्षेत्र में भू-विस्थापित महिलाओं के अर्धनग्न प्रदर्शन और पंचायत सचिव की रहस्यमयी मौत, के परिप्रेक्ष्य में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कोरबा, जो छत्तीसगढ़ की “ऊर्जाधानी” के रूप में जाना जाता है, लंबे समय से औद्योगीकरण, खनन, और भू-विस्थापन जैसे मुद्दों से जूझ रहा है। कांग्रेस का यह प्रदर्शन न केवल चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के खिलाफ था, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों की “लूट” और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के हनन जैसे बड़े मुद्दों को भी उठाने का प्रयास था।
कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि यह आंदोलन “जल, जंगल, जमीन” की रक्षा और केंद्र सरकार की “तानाशाही” के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस के प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा कि यह जनहित का मुद्दा नहीं, बल्कि एक परिवार को बचाने का प्रयास है। उन्होंने पूछा, “क्या कांग्रेस यह कहना चाहती है कि भूपेश बघेल और उनके बेटे कानून से ऊपर हैं?”
प्रदर्शन का परिणाम और भविष्य की रणनीति
कटघोरा में दोपहर 2 बजे के बाद प्रदर्शन समाप्त हो गया, और सड़क को यातायात के लिए खोल दिया गया। कांग्रेस नेताओं ने इस चक्काजाम को “सफल” बताते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार और ED को एक कड़ा संदेश है कि वे उनकी आवाज को दबा नहीं सकते। भूपेश बघेल ने कहा, “हम गांधी, नेहरू, और सरदार पटेल के वंशज हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जेल में वर्षों बिताए। हम न डरेंगे, न झुकेंगे।”
हालांकि, कुछ स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने प्रदर्शन के कारण हुई असुविधा पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह के चक्काजाम से आम जनता को परेशानी होती है, और इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता। दूसरी ओर, कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि यदि ED की कार्रवाई जारी रही, तो वे भविष्य में और बड़े आंदोलन शुरू करसकते है,

                   ,,निष्कर्ष,,

कटघोरा में कांग्रेस का चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नए तनाव का प्रतीक है। यह प्रदर्शन न केवल चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के खिलाफ था, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों, आदिवासी अधिकारों, और केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग जैसे बड़े मुद्दों को भी उजागर करता है। कोरबा जिले में हाल की घटनाओं, जैसे SECL कुसमुंडा में भू-विस्थापितों का आंदोलन और सामाजिक-प्रशासनिक चुनौतियाँ, इस प्रदर्शन को और भी प्रासंगिक बनाती हैं।
केंद्र सरकार, ED, और छत्तीसगढ़ सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वे इन मुद्दों को संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ हल करें। साथ ही, समाज को यह सोचने की जरूरत है कि विकास और औद्योगीकरण की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए। यह घटना छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
जन जन की आवाज़

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