कोरबा: तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का आंदोलन का ऐलान, 17 मांगों पर 26 जुलाई तक अल्टीमेटम,,
कोरबा, 19 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में राजस्व विभाग के तहसीलदार और नायब तहसीलदार संसाधनों की कमी और कार्यस्थल पर आने वाली समस्याओं से त्रस्त होकर आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं “
संसाधन नहीं तो काम नहीं” के सिद्धांत के आधार पर छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने 17 सूत्रीय मांगों की पूर्ति के लिए शासन को 26 जुलाई 2025 तक का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस अवधि में उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई, तो 28 जुलाई से चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी गई है।
इस संबंध में जिला कलेक्टर के माध्यम से शासन को औपचारिक सूचना भी भेजी गई है।
मांगों का आधार: संसाधनों की कमी
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ का कहना है कि तहसील कार्यालयों में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें मानवीय संसाधनों की कमी, तकनीकी सुविधाओं का अभाव, सुरक्षा व्यवस्था की कमी, शासकीय वाहनों की अनुपलब्धता और प्रशासनिक सहयोग का न होना प्रमुख है। ये समस्याएँ कार्य निष्पादन में गंभीर बाधा उत्पन्न कर रही हैं।
संघ ने बताया कि इन मुद्दों को लेकर पहले भी कई बार शासन और विभाग को अवगत कराया गया है। समय-समय पर ज्ञापन सौंपे गए हैं और शासन से इन समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संघ को उम्मीद थी कि शासन इन विषयों पर सहानुभूतिपूर्वक और प्राथमिकता के साथ विचार करेगा, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा
संघ ने अपनी मांगों को लेकर शासन को 26 जुलाई तक का समय दिया है। यदि इस अवधि में कोई सकारात्मक पहल नहीं होती, तो तहसीलदार और नायब तहसीलदार चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेंगे। इस आंदोलन की रूपरेखा इस प्रकार है:
प्रथम चरण (17 जुलाई 2025):
जिला कलेक्टर के माध्यम से शासन को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में 17 सूत्रीय मांगों को स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।
द्वितीय चरण (21 से 26 जुलाई 2025):
इस अवधि में तहसीलदार और नायब तहसीलदार निजी संसाधनों (जैसे व्यक्तिगत वाहन, उपकरण आदि) का उपयोग बंद करेंगे। इससे कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है, क्योंकि शासकीय संसाधनों की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या है।
तृतीय चरण:
28 जुलाई 2025: जिला स्तर पर सामूहिक अवकाश लेकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
29 जुलाई 2025: संभागीय और राज्य स्तर पर सामूहिक अवकाश के साथ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।
30 जुलाई 2025: प्रदेश स्तर पर सामूहिक अवकाश लेकर राजधानी में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
चतुर्थ चरण:
यदि उपरोक्त तिथियों तक शासन द्वारा कोई सार्थक पहल नहीं की जाती, तो संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होगा। इस दौरान कार्य का पूर्ण बहिष्कार किया जा सकता है।
संघ की मांगें
संघ ने अपनी 17 सूत्रीय मांगों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
तहसील कार्यालयों में मानवीय संसाधनों की कमी को दूर करना।
तकनीकी सुविधाओं (जैसे कंप्यूटर, इंटरनेट, सॉफ्टवेयर आदि) की उपलब्धता।
तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के लिए सुरक्षा व्यवस्था।
शासकीय वाहनों की उपलब्धता।
प्रशासनिक सहयोग और संसाधनों की पूर्ति।
संघ का विश्वास और अपील
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने उम्मीद जताई है कि शासन उनकी मांगों की गंभीरता को समझेगा और 26 जुलाई तक आवश्यक कदम उठाएगा। संघ का कहना है कि यह आंदोलन उनकी मजबूरी है, क्योंकि संसाधनों के अभाव में कार्य करना असंभव हो गया है। वे चाहते हैं कि शासन उनकी समस्याओं का समाधान करे ताकि जनसेवा का कार्य बिना किसी बाधा के जारी रह सके।
संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शासन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेता, तो वे सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के अनुसार अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार जैसे कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे।
प्रभाव और संभावनाएँ
तहसीलदार और नायब तहसीलदार राजस्व विभाग की रीढ़ हैं। इनके कार्यों में राजस्व रिकॉर्ड, भूमि विवाद, प्रमाण पत्र जारी करना, और अन्य प्रशासनिक कार्य शामिल हैं। यदि ये अधिकारी आंदोलन पर चले जाते हैं, तो जिले में राजस्व से संबंधित कार्य ठप हो सकते हैं, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ तहसील कार्यालयों पर लोगों की निर्भरता अधिक है, यह आंदोलन कई सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।
,,निष्कर्ष,,
कोरबा जिले के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का यह आंदोलन संसाधनों की कमी और कार्यस्थल की समस्याओं को उजागर करता है। शासन के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वह इन अधिकारियों की मांगों पर ध्यान दे और समय रहते समाधान निकाले। यदि 26 जुलाई तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो 28 जुलाई से शुरू होने वाला चरणबद्ध आंदोलन प्रशासन और जनता दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
संघ ने शासन से त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई की अपील की है ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके। अब गेंद शासन के पाले में है, और यह देखना होगा कि वह इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।

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