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कटघोरा के साई मंदिर प्रांगण में हलषष्ठी पूजा का भव्य आयोजन, सैकड़ों महिलाओं ने लिया भाग,,

 कटघोरा के साई मंदिर प्रांगण में हलषष्ठी पूजा का भव्य आयोजन, सैकड़ों महिलाओं ने लिया भाग,,

कोरबा कटघोरा—– कोरबा जिले के कटघोरा मेला ग्राउंड स्थित साईं मंदिर प्रांगण में हलषष्ठी पूजा का भव्य आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर भगवान बलराम के जन्मोत्सव, जिसे कमरछठ या हलषष्ठी के रूप में जाना जाता है, को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अनुष्ठान में नगर की सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया और अपने परिवार, बच्चों, और समाज की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

,,हलषष्ठी पूजा का महत्व और आयोजन,,

हलषष्ठी का यह पर्व भगवान बलराम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें छत्तीसगढ़ में अन्नदाता और कृषक देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन महिलाएं नीरजल (बिना पानी पिए) व्रत रखती हैं और भगवान बलराम की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। इस वर्ष का आयोजन पंडित मुरली मनोहर दुबे के सान्निध्य में संपन्न हुआ, जिन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा को विधिवत रूप से संपन्न कराया।

,,पूजा की विधि और सामग्री,,

पूजा के दौरान महिलाओं ने तालाबनुमा गड्ढे बनाए, जिनमें विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्रियां अर्पित की गईं। इनमें विभिन्न प्रकार के अनाज, लाई, महुआ, भैंस का दूध, दही, और अन्य पारंपरिक सामग्रियां शामिल थीं। तमाम प्रकार के फल-फूलों से भगवान बलराम और हलषष्ठी माता की पूजा की गई। इसके पश्चात पसहर चावल की खीर बनाकर माता को भोग लगाया गया। यह खीर विशेष रूप से इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। महिलाओं ने पूजा के दौरान अपने बच्चों और परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और दीर्घायु के लिए प्रार्थना की।

 

,,महिलाओं की भागीदारी और सामाजिक संदेश,,

इस आयोजन में कटघोरा नगर की सैकड़ों महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उपवास रखने वाली महिलाओं ने एकजुट होकर पूजा-अर्चना की और भगवान बलराम के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने छत्तीसगढ़ की माताओं और समस्त प्रदेशवासियों को हलषष्ठी पर्व की शुभकामनाएं दीं। साथ ही, उन्होंने प्रार्थना की कि भगवान बलराम की कृपा से प्रदेश में सुख, समृद्धि और कृषि में उन्नति बनी रहे।

,,सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व,,

हलषष्ठी का यह पर्व छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल भगवान बलराम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि कृषि और अन्नदाता के महत्व को भी दर्शाता है। इस अवसर पर महिलाएं अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, जो इस पर्व को सामाजिक एकता का प्रतीक भी बनाता है।

आयोजन की सफलता

पंडित मुरली मनोहर दुबे के मार्गदर्शन में यह अनुष्ठान पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। साईं मंदिर प्रांगण में आयोजित इस पूजा में शामिल होने वाली महिलाओं ने इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बताया। आयोजन की सफलता में स्थानीय समुदाय और मंदिर समिति का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इस प्रकार, कटघोरा में हलषष्ठी पूजा का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करने में सफल रहा। महिलाओं ने भगवान बलराम से प्रार्थना की कि उनकी कृपा से समस्त छत्तीसगढ़वासियों का जीवन सुखमय और समृद्ध बना रहे।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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