कच्ची शराब का कहर: कोरबा के कोरकोमा शिवनगर में 2 ग्रामीणों की मौत, 3 की हालत गंभीर,,
कोरबा, छत्तीसगढ़: कोरबा जिले के रजगामार पुलिस चौकी क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कोरकोमा शिवनगर में कच्ची शराब के सेवन से एक दुखद घटना सामने आई है। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से बीमार हो गए। मृतकों की पहचान राजमीन बाई और जय सिंह के रूप में हुई है। गंभीर रूप से बीमार राजाराम, राजकुमार, और चमेली बाई को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में दहशत पैदा कर दी है, और प्रशासन ने कच्ची शराब के स्रोत का पता लगाने के लिए तत्काल जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
घटना 30 जुलाई 2025 की देर शाम को सामने आई, जब कोरकोमा शिवनगर के कुछ ग्रामीणों ने कथित तौर पर कच्ची शराब का सेवन किया। जानकारी के अनुसार, शराब पीने के कुछ समय बाद ही इन लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ लोगों को उल्टियां शुरू हुईं, जबकि अन्य बेहोशी की हालत में चले गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत प्रभावितों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की कोशिश की, लेकिन हालत बिगड़ने के कारण उन्हें कोरबा जिला अस्पताल रेफर किया गया।
जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने तत्काल उपचार शुरू किया, लेकिन राजमीन बाई और जय सिंह की हालत इतनी गंभीर थी कि उनकी मृत्यु हो गई। अन्य तीन प्रभावितों—राजाराम, राजकुमार, और चमेली बाई—को गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती किया गया है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम इन मरीजों की स्थिति पर लगातार नजर रख रही है और उनका इलाज कर रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कच्ची शराब में जहरीले पदार्थ, संभवतः मिथाइल अल्कोहल, की मौजूदगी के कारण यह हादसा हुआ।
प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस हरकत में आ गए। कोरबा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और रजगामार पुलिस चौकी के प्रभारी तत्काल जिला अस्पताल पहुंचे और प्रभावितों की स्थिति का जायजा लिया। कोरबा पुलिस ने इस मामले में अपराध पंजीबद्ध कर लिया है और कच्ची शराब के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह शराब कहां से आई, इसे किसने बनाया, और इसे गांव में कैसे वितरित किया गया।
पुलिस ने आसपास के क्षेत्रों में छापेमारी शुरू की है और संदिग्ध अवैध शराब भट्टियों की तलाश कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कोरकोमा और आसपास के क्षेत्रों में कच्ची शराब का अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है, और यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है।
कच्ची शराब: एक पुरानी समस्या
कच्ची शराब से होने वाली मौतें छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में एक गंभीर और पुरानी समस्या रही है। कोरबा जिला, जो अपनी खनन गतिविधियों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए जाना जाता है, में अवैध शराब का कारोबार ग्रामीण इलाकों में आम है। सस्ती और आसानी से उपलब्ध होने के कारण, कच्ची शराब का सेवन गरीब और मजदूर वर्ग में प्रचलित है। हालांकि, इसमें जहरीले रसायनों, जैसे मिथाइल अल्कोहल, के उपयोग के कारण यह जानलेवा साबित होती है।
पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कच्ची शराब से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। कोरबा में भी पहले इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस समस्या पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है।
चिकित्सीय स्थिति
जिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, कच्ची शराब में मिथाइल अल्कोहल की मौजूदगी के कारण प्रभावितों के शरीर में गंभीर विषाक्तता (टॉक्सिसिटी) हो गई। मिथाइल अल्कोहल शरीर में मेटाबोलाइज होने पर फॉर्मिक एसिड बनाता है, जो किडनी, लिवर, और तंत्रिका तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। इससे अंधापन, बेहोशी, और अंततः मृत्यु हो सकती है।
वर्तमान में भर्ती तीन मरीजों—राजाराम, राजकुमार, और चमेली बाई—की हालत गंभीर बनी हुई है। चिकित्सकों ने बताया कि अगले 48 घंटे उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अस्पताल प्रशासन ने इन मरीजों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं और उनकी स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है।
प्रशासनिक और सामाजिक प्रभाव
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश और भय पैदा किया है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध शराब का कारोबार लंबे समय से चल रहा है, और स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग की निष्क्रियता के कारण यह समस्या बढ़ती जा रही है। कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि स्थानीय स्तर पर कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से यह कारोबार फल-फूल रहा है।
कोरबा जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और कलेक्टर अजीत वसंत ने आबकारी विभाग को अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने भी आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
कानूनी कार्रवाई
इस मामले में पुलिस ने छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 की धारा 34(2) के तहत मामला दर्ज किया है, जो अवैध शराब की बिक्री और वितरण से संबंधित है। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) और अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है, यदि यह साबित होता है कि शराब में जानबूझकर जहरीले पदार्थ मिलाए गए थे।
आगे की राह
इस दुखद घटना के बाद निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:
अवैध शराब के स्रोत की जांच: पुलिस और आबकारी विभाग को संयुक्त रूप से कोरकोमा और आसपास के क्षेत्रों में अवैध शराब भट्टियों पर छापेमारी करनी चाहिए।
सख्त कार्रवाई: शराब के अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को कच्ची शराब के खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं।
प्रशासनिक जवाबदेही: आबकारी और पुलिस विभाग की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, ताकि इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।
,,निष्कर्ष,,
कोरकोमा शिवनगर में कच्ची शराब के कारण हुई इस त्रासदी ने एक बार फिर अवैध शराब के कारोबार के खतरों को उजागर किया है। दो लोगों की मौत और तीन अन्य की गंभीर हालत न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि प्रशासनिक नाकामी का भी सबूत है। जिला प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई इस मामले में कुछ राहत प्रदान करती है, लेकिन यह समस्या जड़ से खत्म करने के लिए दीर्घकालिक और ठोस कदमों की जरूरत है। ग्रामीणों के बीच जागरूकता, सख्त कानूनी कार्रवाई, और प्रशासनिक जवाबदेही ही इस तरह की घटनाओं को रोकने का एकमात्र रास्ता है।

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