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कोरबा: कटघोरा वन मंडल के केंदई परिक्षेत्र में हाथियों का आतंक, ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग असफल, व्हाट्सएप बना सूचना तंत्र,,

कोरबा: कटघोरा वन मंडल के केंदई परिक्षेत्र में हाथियों का आतंक, ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग असफल, व्हाट्सएप बना सूचना तंत्र,,

कोरबा, 30 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल अंतर्गत केंदई परिक्षेत्र के ग्राम लमना, चोटिया, नवापारा, बनिया, खरफडीपारा, लालपुर, पोड़ीखुर्द, रोदे, फुलसर, कोरबी, सरमा, पनगवां, हरदेवा, बर्रा, और बेतालों में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन गांवों में हर शाम जैसे ही सूरज ढलता है, 60-70 हाथियों उपस्थित है जो कई झुंडो में क्षेत्र के विभिन्न गमों में विचरण कर रहे है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। हाथियों के इस उत्पात से न केवल फसलों को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि ग्रामीणों की जानमाल को भी खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं, जिससे किसानों की चिंता और परेशानी बढ़ती जा रही है। इस बीच, ग्रामीणों ने अपने स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सूचना तंत्र विकसित किया है, जिसके जरिए वे एक-दूसरे को हाथियों के आगमन की जानकारी देकर सतर्कता बरत रहे हैं।

,,हाथियों का आतंक: फसलों और जानमाल को खतरा,,

कटघोरा वन मंडल के केंदई परिक्षेत्र में पिछले कई महीनों से जंगली हाथियों का झुंड सक्रिय है। खासकर धान की फसल की खुशबू से आकर्षित होकर ये हाथी खेतों में घुसकर फसलों को रौंद रहे हैं। धान, मक्का, और अन्य फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है, जिससे किसानों की मेहनत और आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। इसके अलावा, हाथियों ने कई बार ग्रामीणों के घरों को भी क्षतिग्रस्त किया है। हाल ही में परला गांव के स्कूल के आसपास हाथियों का झुंड देखा गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों में भय और भी बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि शाम होते ही घरों से बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है।

,,वन विभाग की नाकामी, किसानों में रोष,,

कटघोरा वन मंडल के अधिकारियों ने हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन ये प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। वन विभाग ने ड्रोन, सजग सायरन सिस्टम, और हाथी मित्र दल जैसे उपायों को लागू किया है, लेकिन 60-70 हाथियों के विशाल झुंड को नियंत्रित करना उनके लिए चुनौती बना हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण स्थिति और बिगड़ रही है। कई बार हाथियों के हमले में लोगों की जान भी जा चुकी है, जिसने स्थानीय समुदाय में आक्रोश को और बढ़ा दिया है।
कटघोरा वन मंडल के डीएफओ निशांत झा ने बताया कि विभाग हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष ऐप और ड्रोन का उपयोग कर रहा है। इसके अलावा, 85 गांवों में सजग सायरन सिस्टम स्थापित किया गया है, जो हाथियों की उपस्थिति की सूचना तुरंत देता है। फिर भी, ग्रामीणों का कहना है कि ये उपाय केवल सतही हैं और वास्तविक समाधान की कमी है।

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,व्हाट्सएप ग्रुप: ग्रामीणों का अपना सूचना तंत्र,,

हाथियों के खतरे से निपटने के लिए केंदई परिक्षेत्र के ग्रामीणों ने अपने स्तर पर एक अनूठा सूचना तंत्र विकसित किया है। गांववासियों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं, जिनके जरिए वे एक-दूसरे को हाथियों की लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी साझा करते हैं। उदाहरण के लिए, परला गांव के स्कूल के पास हाथियों के झुंड के विचरण की सूचना तुरंत व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आसपास के गांवों तक पहुंचाई गई, जिसके बाद लोग सतर्क हो गए। इस तरह के ग्रुप न केवल ग्रामीणों को समय पर चेतावनी देते हैं, बल्कि जन-धन की हानि को कम करने में भी मदद कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है, “वन विभाग की सूचनाएं देर से मिलती हैं या कभी-कभी मिलती ही नहीं। इसलिए हमने अपने स्तर पर यह व्यवस्था शुरू की है। व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए हम तुरंत एक-दूसरे को सतर्क कर देते हैं।” यह पहल ग्रामीणों की एकजुटता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गई है।
हाथियों की गतिविधियां और प्रभाव
कटघोरा वन मंडल में इस समय 52 से अधिक हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है, जिसमें 14 बेबी एलिफेंट भी शामिल हैं। ये हाथी भोजन और पानी की तलाश में लगातार क्षेत्र बदल रहे हैं। चोटिया, कोरबी, और लालपुर जैसे क्षेत्रों में हाथियों का मूवमेंट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। कुछ मामलों में, लोनर (अकेले) हाथी भी परला और अन्य क्षेत्रों में देखे गए हैं, जो विशेष रूप से खतरनाक माने जाते हैं।
हाथियों ने न केवल फसलों को नष्ट किया है, बल्कि मवेशियों को भी नुकसान पहुंचाया है। उदाहरण के लिए, पसान रेंज के सिर्री गांव में पांच मवेशियों को कुचल दिया गया। इसके अलावा, चोटिया-चिरमिरी मुख्य मार्ग पर हाथियों के झुंड ने यातायात को भी प्रभावित किया है।

,,ग्रामीणों की मांग और आंदोलन की चेतावनी,,

हाथियों के आतंक से त्रस्त किसानों ने वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि:
हाथियों को जंगल में वापस भेजा जाए: वन विभाग प्रभावी ढंग से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़े ताकि गांव सुरक्षित रहें।

नुकसान का मुआवजा: फसलों और संपत्ति के नुकसान के लिए त्वरित और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
सुरक्षा उपायों में सुधार: सायरन सिस्टम और हाथी मित्र दल की प्रभावशीलता को बढ़ाया जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे चोटिया चौक जैसे प्रमुख स्थानों पर धरना और चक्काजाम जैसे आंदोलन करेंगे। हाल ही में 18 सितंबर 2024 को चोटिया चौक पर ग्रामीणों ने इसी मुद्दे पर चक्काजाम किया था, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
वन विभाग के सामने चुनौतियां
वन विभाग के लिए इतनी बड़ी संख्या में हाथियों को नियंत्रित करना आसान नहीं है। डीएफओ निशांत झा ने बताया कि कटघोरा वन मंडल जंगली हाथियों का हॉटस्पॉट बन गया है। विभाग ने हाथी मित्र दल का गठन किया है, जिसमें स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधि शामिल हैं। साथ ही, ड्रोन और ऐप के जरिए हाथियों की लोकेशन पर नजर रखी जा रही है। फिर भी, ग्रामीणों का कहना है कि ये उपाय ना बराबर हैं और व्यावहारिक समाधान की जरूरत है।

             ,,आगे की राह,,
 

कटघोरा वन मंडल के केंदई परिक्षेत्र में हाथियों का आतंक एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ग्रामीणों का व्हाट्सएप सूचना तंत्र इस संकट से निपटने में मददगार साबित हो रहा है, लेकिन यह केवल एक अस्थायी उपाय है। वन विभाग को अधिक प्रभावी रणनीति अपनाने की जरूरत है, जैसे कि हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाना, जंगल में भोजन और पानी की व्यवस्था करना, और ग्रामीणों को त्वरित मुआवजा प्रदान करना।
इसके साथ ही, ग्रामीणों की एकजुटता और जागरूकता इस संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यदि वन विभाग और प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो इस क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष और गंभीर रूप ले सकता है। ग्रामीणों की मांग और आंदोलन की चेतावनी इस बात का संकेत है कि अब स्थिति को नजरअंदाज करना संभव नहीं है,,

 

 

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
जन जन की आवाज़

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